नई दिल्ली. शादी (Marriage) आप बेशक जल्दीबाजी में कर सकते हैं लेकिन तालाक (divorce) आपको जल्दीबाजी में नहीं मिलेगा. गुजरात हाईकोर्ट ने (Gu...
नई दिल्ली. शादी (Marriage) आप बेशक जल्दीबाजी में कर सकते हैं लेकिन तालाक (divorce) आपको जल्दीबाजी में नहीं मिलेगा. गुजरात हाईकोर्ट ने (Gujarat High Court) इसी तरह की एक याचिका में दिलचस्प मोड़ देते हुए कहा कि कपल (Couple) को आपसी मेलजोल की आखिरी कोशिशों के तहत हर हाल में छह महीने का समय बिताना होगा.
इससे पहले तालाक नहीं हो सकता. दरअसल, अहमदाबाद (Ahmadabad) का कपल शादी के सिर्फ 12 दिन बाद से ही अलग रहने लगा. दोनों ने फैमिली कोर्ट (Family court) में आपसी सहमति के आधार पर तुरंत तालाक के लिए याचिका दायर की. फैमिली कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहले छह महीने का आपसी मेलजोल के लिए समय बिताना पड़ेगा. इसके बाद दोनों ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन वहां से याचिका का निरस्त कर दिया गया.
क्या था मामला
सौरभ और सारिका (बदला हुआ नाम) ने 8 दिसंबर 2020 को अहमदाबाद में शादी की. लेकिन 12 दिन बाद ही दोनों अलग हो गए. दिसंबर 2021 में दोनों ने फैमिली कोर्ट में तालाक के लिए संयुक्त अर्जी दाखिल की. उन्होंने मांग की वे दोनों एक साल से अलग रह रहे हैं, इसलिए तुरंत तालाक के आवेदन को स्वीकार कर लिया जाए.
उन्होंने आखिरी कोशिशों के तहत छह महीने के कूलिंग पीरियड को माफ करने की भी मांग की. हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 13 बी के तहत फैमिली कोर्ट के लिए तालाक का कोई भी मामला सामने आने के बाद छह महीने का समय देना अनिवार्य है ताकि इस अवधि के दौरान कपल आखिरी कोशिशों के तहत मेल-जोल कर लें. इस साल 4 जनवरी को इसी आधार पर फैमिली कोर्ट ने छह महीने के कूलिंग पीरियड को खत्म करने की मांग को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट में पहुंचा मामला
इसके बाद कपल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कपल ने कोर्ट से कहा कि दोनों ने आपसी सहमति के आधार पर एक-दूसरे के खिलाफ आपराधिक मामले को वापस लेने और तालाक का फैसला किया है. कपल ने कहा, फैमिली कोर्ट ने उन्हें मध्यस्थता के लिए भेजा था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.
इसलिए उन्हें कूलिंग पीरियड से छूट देकर तत्काल तलाक दे दिया जाए. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का असाधारण अधिकार का वह इस्तेमाल नहीं कर सकता है. फैमिली कोर्ट के वकील संजीव ठाकर ने बताया कि तालाक के मामलों में कपल को पहले छह महीने अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए दिया जाता है. कानून के मुताबिक तालाक के लिए पति-पत्नी के रूप में पहले एक साल अलग रहना अनिवार्य है. इसके बाद आपसी सहमति के बावजूद छह महीने का कूलिंग समय भी दिया जाता है. इसके बाद ही तालाक का निर्णय होता है.
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