रायगढ़, 8 अगस्त 2023 रायगढ़ जिले में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या बड़े पैमाने में निवास करती है। रायगढ़ जिले के 5 विकासखंड अनुसूचित ब्लॉक में...
रायगढ़, 8 अगस्त 2023
रायगढ़ जिले में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या बड़े पैमाने में निवास करती है। रायगढ़ जिले के 5 विकासखंड अनुसूचित ब्लॉक में शामिल है। राज्य शासन की योजनाओं के साथ प्रशासनिक प्रयासों से इन क्षेत्रों में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण तथा उसे बढ़ावा देने, वन अधिकार पट्टा वितरण के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, जल और पर्यावरण संरक्षण व रोजगार संवर्धन के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। 3 नई राजस्व इकाइयों के गठन से दूरस्थ क्षेत्रों तक प्रशासनिक पहुंच सुलभ हुई है। शासन-प्रशासन के इन प्रयासों से जिले के अनुसूचित क्षेत्र सुविधा और संसाधनों से समृद्ध हो रहे हैं।
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मार्गदर्शन में अनुसूचित क्षेत्रों में अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण, बच्चों एवं महिलाओं के सुपोषण, केलो नदी के संरक्षण व तालाबों के माध्यम से प्राकृतिक जल के संचयन जैसे कदमों के साथ पर्यावरण संरक्षण व वृक्षारोपण के साथ करियर मार्गदर्शन के लिए मितान केंद्रों की स्थापना जैसे कार्य किए जा रहे है। जिसका लाभ यहां निवासरत लोगों को मिल रहा है।
सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का अभियान
आदिवासी संस्कृति का प्रमुख अंग उनके नृत्य व संगीत होता है। उनके इस विशिष्ट संस्कृति को बचाये रखने के लिए गांवों की सांस्कृतिक दलों को आवश्यक सामग्री की व्यवस्था हेतु 10 हजार रुपये तक की राशि दी जाती है। पिछले चार वर्षो में 156 दलों को 15 लाख 60 हजार रुपये दिए गए। इसी प्रकार मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के ग्रामों में स्थानीय उत्सवों व त्यौहारों के साथ सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए 10 हजार रुपये की राशि दिए जाने का प्रावधान है। अनुसूचित क्षेत्रों के 377 ग्राम पंचायत को प्रथम किश्त के रूप में 18 लाख 85 हजार रुपये की राशि दी गई है। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों में पारा, मजरा, टोलों में देवस्थल के विकास हेतु राशि स्वीकृत की जाती है। इसके अंतर्गत अब तक 75 देवगुड़ी हेतु 85 लाख 50 हजार की राशि स्वीकृत की गई है।
वन अधिकार पत्रों से मिलता भूमि स्वामित्व का लाभ
जिले में अब तक 12 हजार 877 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किया गया है, जिसका क्षेत्रफल 7 हजार 634 हेक्टेयर है। इसी प्रकार 47 हजार 730 हेक्टेयर के 4 हजार 88 सामुदायिक वन अधिकार पत्र तथा 01 लाख 32 हजार 629 हेक्टेयर के 248 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किए गए है। जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर को 240 के साथ 303 पंडो, 475 पहाड़ी कोरवाओं को वन अधिकार पत्र वितरित किए गए है।
दूरस्थ इलाकों में सुदृढ़ होती स्वास्थ्य सुविधाएं, डॉक्टरों की पदस्थापना ने इलाज किया सुलभ
रायगढ़ की दूरस्थ अंचलों में चिकित्सा सुविधाओं की सुलभता एक प्रमुख लक्ष्य रहा है। कलेक्टर श्री सिन्हा के विशेष पहल पर धरमजयगढ़, लैलूंगा, घरघोड़ा और तमनार के स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की पदस्थापना के साथ स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। जिससे हेल्थ सुविधाओं को मजबूती मिली है। धरमजयगढ़ में गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। जहां प्रसव से एक से दो हफ्ते पहले महिलाओं को रखा जाता है तथा उनकी देखभाल की जाती है। इससे यहां सुरक्षित व संस्थागत प्रसव करवाया जा रहा है। महिलाओं की डिलीवरी के साथ रूटीन जांच की सुविधा जिले के इन सुदूर इलाकों में रह रहे लोगों को स्थानीय स्तर पर ही मिल रही है। शासन की हाट-बाजार क्लिनिक योजना से गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाएं सीधे पहुंच रही हैं।
मितान केंद्रों से दिखी राह, रोजगार मेलों से मिल रही मंजिल
दूरस्थ इलाकों में करियर बिल्डिंग के लिए सही मार्गदर्शन मिलना एक बड़ी चुनौती होती है। इसे समझते हुए ब्लॉक मुख्यालयों में मितान केन्द्र शुरू किए गए हैं। कलेक्टर सिन्हा के मार्गदर्शन में यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग, किताबें, मैगजीन के साथ इंटरनेट सुविधा सहित कंप्यूटर रखे गए हैं। इंडोर गेम्स की सुविधा भी यहां उपलब्ध है। ऐसे मितान केंद्र जिले के सभी विकासखंड मुख्यालय में खोले गए हैं। जहां से आदिवासी अंचल के युवाओं को कैरियर बिल्डिंग की राह मिल रही है, वहीं जिले में लगे रोजगार मेलों से स्थानीय स्तर पर युवाओं को जॉब मिल रही है। तमनार में जिले का सबसे बड़ा रोजगार मेला लगाया गया। जहां एक दिन में ही 700 से अधिक युवाओं को यहां जॉब ऑफर मिला था।
पोषण स्तर सुधारने पर भी है विशेष जोर
बच्चों एवं महिलाओं के पोषण स्तर को सुधारने के लिए विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। जिले में विभाग द्वारा संचालित एनआरसी केंद्रों के साथ स्थानीय संसाधनों से भी अतिरिक्त एनआरसी केंद्र खोले गए हैं। जिससे अधिक से अधिक कुपोषित बच्चों को इन केंद्रों का लाभ मिले। तमनार एवं कापू के स्वास्थ्य केंद्रों में नवीन एनआरसी केंद्र का बीते माह शुभारंभ किया गया।
स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के साथ शिक्षकों की हो रही व्यवस्था, आत्मानंद स्कूलों से मिल रहा बेहतर माहौल
दूरस्थ अंचलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार संसाधनों के इंतजाम के साथ मॉनिटरिंग की जा रही है। कलेक्टर सिन्हा के मार्गदर्शन में स्कूलों के जर्जर भवन के मरम्मत के लिए कार्ययोजना बनाया गया जिससे पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 130 करोड़ रुपए की राशि से जिले के स्कूल भवनों को संवारा जा रहा है। जिसमें बड़े पैमाने पर सुदूर क्षेत्रों के स्कूल भी शामिल हैं। इसके साथ ही स्वामी आत्मानंद स्कूलों के माध्यम से अंग्रेजी और हिंदी माध्यम में पढ़ाई का बेहतर माहौल इन इलाकों में मिल रहा है। सीएसआर से इन स्कूलों के मरम्मत के लिए 15 करोड़ से अधिक की राशि दी गई है। दूरस्थ अंचलों में शिक्षकों की व्यवस्था पर भी विशेष रूप से फोकस किया गया। धरमजयगढ़ और लैलूंगा सहित अन्य ब्लॉक में करीब 360 शिक्षकों को एकल और शिक्षक विहीन स्कूलों में कार्य करने के लिए आदेशित किया गया है।
जल संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम
आदिवासी अंचलों में जल संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन की दिशा में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा की पहल कर व्यापक मुहिम चल रही है। रायगढ़ की मुख्य नदी केलो के उद्गम लैलूंगा के पहाड़ लुडेग से लेकर नदी मार्ग में नदी के संरक्षण पर विशेष रूप से कार्य चल रहा है। प्राकृतिक जल के संरक्षण को लेकर जिले के करीब 200 तालाबों के गहरीकरण का कार्य किया गया है, जो अब बारिश में लबालब भर रहे हैं। जिनमें बड़ी संख्या में तालाब आदिवासी इलाकों में खुदवाए गए हैं। विभागीय योजनाओं के साथ कलेक्टर सिन्हा ने उद्योगों को सामाजिक दायित्व के तहत साथ जोड़ा है। इसी प्रकार वृहत स्तर पर वृक्षारोपण अभियान भी इस मानसून चलाया जा रहा है। जन सहभागिता के तहत लोगों को इसमें जोड़ा जा रहा है। इसमें 1 हजार एकड़ में 5 लाख पेड़ लगाने का कार्य किया जा रहा है। तमनार के मौहापाली में हरेली तिहार के दिन जनसहयोग से 17 एकड़ में वृहत वृक्षारोपण किया गया।
3 नई राजस्व इकाइयों से सुदूर इलाकों में प्रशासनिक पहुंच हुई सुलभ
आम जन तक प्रशासन की पहुंच सुलभ करने के लिए राज्य शासन द्वारा नई प्रशासनिक इकाइयों के रूप नवीन तहसीलों का गठन किया गया है। धरमजयगढ़ से अलग होकर छाल और कापु तथा लैलूंगा से पृथक होकर मुकडेगा तहसील बनाया गया है। इससे तहसील से जुड़े कार्यों के लिए लोगों ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ता है।
No comments