Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest
//

नए कानूनों को लेकर अमित शाह ने किया दावा- महीने में मिलेगा न्याय

नई दिल्ली. देश में एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के उठाए सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन...

नई दिल्ली. देश में एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के उठाए सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने नए कानूनों से पुलिसराज स्थापित होने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि ये कानून पीडि़तों के हितों की रक्षा करने वाले हैं। एफआइआर दर्ज होने के दिन से तीन साल के अंदर पीडि़तों को न्याय मिलेगा। फरियादियों को अदालतों के चक्कर काटने से मुक्ति मिलेगी। मुकदमों का बोझ भी कम होगा। नब्बे प्रतिशत केस में दोष सिद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि अब दंड की जगह न्याय लेगा, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी, अब पीडि़तों और शिकायतकर्ता के अधिकारों की रक्षा होगी।

शाह ने संसद भवन लाइब्रेरी के कक्ष में पुलिसराज के सवाल पर सवाल करते हुए कहा, पुलिस मनमाने तरीके से किसी को नहीं उठा सकती। किसी को हिरासत में लेती है तो कागज में एंट्री करनी होगी, सूचना भी देनी होगी, 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। नब्बे दिन के अंदर केस की प्रगति की जानकारी पीडि़त को देनी होगी। एफआइआर की कॉपी देनी होगी। बगैर थाने गए भी आप ऑनलाइन एफआइआर दर्ज करा सकते हैं। इससे पुलिसराज आएगा कि पीडि़तों के हितों की रक्षा होगी?

पहले किसी कानून पर इतनी लंबी चर्चा नहीं

क्या कानून जल्दबाजी में पारित हुआ? शाह ने इस सवाल को खारिज करते हुए कहा कि आजादी के बाद किसी भी कानून को पारित कराने के लिए इतनी लंबी चर्चा का प्रोसेस नहीं हुआ। लोकसभा में 9 घंटा 34 मिनट चर्चा हुई, 34 सदस्यों ने हिस्सा लिया। राज्यसभा में 7 घंटा 10 मिनट चर्चा हुई, 40 सदस्यों ने हिस्सा लिया। चार साल तक कानून पर विचार हुआ। शाह ने विपक्ष से कहा, आपको अब भी कुछ कहना है तो जरूर आइए, मैं सुनने को तैयार हूं। जो मूल बिल आया था, उसे स्थाई कमेटी के पास भेजा गया। इसकी अनुशंसा आने के बाद मूल बिल में 93 बदलाव किए गए।

गृहमंत्री ने कहा कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णत: स्वदेशी हो रही है और भारतीय मूल्यों के आधार पर चलेगी। अंग्रेजों के बनाए कानून निरस्त कर ससंद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है।

रिमांड अवधि नहीं बढ़ी

शाह ने कहा, भ्रांति फैलाई गई कि रिमांड का समय बढ़ाया गया है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारतीय न्याय संहिता में रिमांड की अवधि 15 दिन ही है। साठ दिन के अंदर एक या दो टुकड़ों में 15 दिन का रिमांड लिया जा सकता है।

No comments

दुनिया

//