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गणेश विसर्जन के दौरान ध्वनि प्रदूषण के दृष्टिगत न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक : कलेक्टर

राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में गणेश विसर्जन के मद्देनजर गणेशोत्सव समिति, शहर के वि...


राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में गणेश विसर्जन के मद्देनजर गणेशोत्सव समिति, शहर के विभिन्न गणेश पंडाल से निकलने वाली झांकी के सदस्य, डीजे एवं साऊण्ड सिस्टम संचालकों की बैठक ली। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि राजनांदगांव जिला हॉकी और झांकी के लिए प्रसिद्ध है और लगभग 86 वर्ष पहले से यहां झांकी की परंपरा एवं संस्कृति रही है। उन्होंने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के दृष्टिगत उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है। आदेश में यह स्पष्ट है कि डीजे के माध्यम से अत्यधिक ध्वनि होने पर आम जनता को परेशानी होती है, जिसके लिए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है। विभिन्न राज्यों में ध्वनि प्रदूषण के कारण मृत्यु हुई है। बच्चों एवं बुजुर्गों पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि आम जनता से भी झांकी के दौरान बजाए जाने वाले डीजे के दुष्प्रभाव के संबंध में फीडबैक प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करना हम सभी का दायित्व है। निर्देशों के अनुरूप 55 डेसीबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की अवमानना का प्रकरण बनने पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए दो माह पहले से ही लगातार बैठक ली जा रही है। हमें आम जनता की भावना का सम्मान करते हुए न्यायालय के निर्देशों का पालन करना होगा। कलेक्टर ने कहा कि झांकी निकालने वाले सभी गणेशोत्सव समिति के पदाधिकारी शपथ पत्र देंगे कि न्यायालय के निर्देशों का पालन करेंगे। डीजे नहीं लगाने वाली झांकी भी अनुमति प्राप्त करेंगे।

पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने कहा कि राजनांदगांव शहर हमारा है तथा यहां हॉकी और झांकी की परंपरा आजादी के पहले से चली आ रही है। देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने जनसामान्य को आजादी के लिए प्रेरित करने हेतु गणेश की झांकी प्रारंभ की थी। लेकिन पिछले कुछ समय से डीजे, लाऊडस्पीकर, साऊण्ड सिस्टम से ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। डीजे, एम्पलीफायर एवं बुफर से आम जनता को तकलीफ होती है। उन्होंने कहा कि शहर के लिए परंपरा हमें ही बनानी है। गणेश झांकी के दौरान उतनी ही ध्वनि होनी चाहिए, जिससे आम नागरिक को दिक्कत नहीं हो। जनसामान्य की यह मांग है तथा उच्चतम न्यायालय ने ध्वनि के लिए एक सीमा तय कर दी है। गणेश झांकी शहर का गौरव है और इससे लोगों का जुड़ाव है। अच्छी बातों की परंपरा बननी चाहिए और इसकी एक शुरूआत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 55 डेसीबल से अधिक ध्वनि होने पर उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए गाड़ी की जब्ती की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सुचारू व्यवस्था बनाने के लिए सभी डीजे संचालक नियमों के अंतर्गत रहते हुए ध्वनि के निर्धारित मापदण्ड का पालन करेंगे।

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