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नालंदा परिसर रायगढ़ शहर को एजुकेशन हब बनाने में साबित होगी मील का पत्थर: ओपी चौधरी

  रायपुर। वित्तमंत्री ओपी चौधरी की उपस्थिति में रायगढ़ में नालंदा परिसर के निर्माण के लिए रायगढ़ नगर निगम और एनटीपीसी के बीच 42.56 करोड़ के ...

 


रायपुर। वित्तमंत्री ओपी चौधरी की उपस्थिति में रायगढ़ में नालंदा परिसर के निर्माण के लिए रायगढ़ नगर निगम और एनटीपीसी के बीच 42.56 करोड़ के मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया गया। वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि यह नालंदा परिसर हमारी नयी पीढ़ी के विकास और रायगढ़ को एजुकेशन हब बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।

वित्तमंत्री चौधरी ने कहा कि रायगढ़ को विकास की नई ऊंचाई पर ले जाना हम सबका सपना है, जिसमें आने वाली पीढ़ी का सक्रिय योगदान होगा और नालंदा परिसर इसके लिए मजबूत बुनियाद तैयार करने का कार्य करेगा। एनटीपीसी के सहयोग से नालंदा परिसर का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए टेंडर की स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने ज्ञान आधारित समाज के निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि आने वाला समय ज्ञान पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि 1991 में भारत 266 बिलियन डॉलर से आज 2024 में 3 हजार 700 बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनी है, आगे इसका आकार और तेजी से बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था के मजबूत होने से देश में सभी वर्गों को इसका लाभ मिलता है, लेकिन जो समय के साथ ज्ञान अर्जन कर खुद को तैयार करते हैं, उन्हें इसका अधिक लाभ मिलता है। 

चौधरी ने कहा कि रायपुर में जब से नालन्दा परिसर बना तब से वहां पूरे शहर के छात्र-छात्राएं वहां पढऩे आते हैं। जिसमें से कई यूपीएससी और स्टेट पीएससी में मेंस और इंटरव्यू तक पहुंचे होते हैं। दूसरी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी भी आते हैं, जिससे लाइब्रेरी में शिक्षा के लिए अच्छा इको सिस्टम तैयार होता है। यह ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में 22 नालंदा परिसर निर्माण को स्वीकृति दी गई है।

मंत्री चौधरी ने बताया कि जब वे 12 वीं पास कर के आगे की पढ़ाई के लिए भिलाई गया तो वहां मेडिकल और इंजीनियरिंग आईआईटी की तैयारी के लिए बहुत अच्छा माहौल था लेकिन सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए कोई माहौल नहीं था। वहां के बड़े बुक स्टोर्स में भी सिविल सर्विस के किताबों की किल्लत होती थी। गिनती की पुस्तकें मिलती थी। यहां तक की रायपुर में भी ढंग की बुक्स नहीं मिल पाती थी, फिर किताबें ढूंढने दिल्ली गया। वहां एक ही बुक डिपो में सारी किताबें मिल गई। जिससे एहसास हुआ कि यह एक बड़ा अंतर है कि सही किताबें और सही माहौल नहीं मिलने से हमारे प्रदेश में लोग सिविल सर्विस में सलेक्ट नहीं हो पाते हैं। इसके लिए जब वे कलेक्टर बने तो रायपुर में नालंदा परिसर की सोच को साकार किया। जिसका लाभ उठाकर आज सैकड़ों युवा सफलता के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।

वित्तमंत्री चौधरी ने कहा कि मैं नवोदय की प्रतियोगी परीक्षा में चयनित नहीं हो पाया था। उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाया तो तैयारी सही नहीं थी। आगे जब इस बारे में सोचा तो मेरा लगा कि जीवन में जिस कठिनाई का सामना किए हैं सक्षम होने पर उसका समाधान दूसरों के लिए खोजना चाहिए। दंतेवाड़ा में नन्हे परिंदें प्रोजेक्ट शुरू किया। यहां दूर दराज के बेहद गरीब परिवार और नक्सल प्रभावित परिवारों से बच्चे को सलेक्ट कर लाते थे। उनकी 5 वीं की तैयारी कर नवोदय और सैनिक स्कूल की तैयारी करवाया जाता था। आज कई बच्चे वहां से पढ़कर अपने जीवन में काफी अच्छा कर रहे हैं।

नालंदा परिसर लाइब्रेरी 24/7 स्टडी जोन होगा। जहां 500 से अधिक बच्चे एक साथ पढ़ सकें यह सुविधा होगी। 25 हजार किताबों के संग्रह के साथ अंतराष्ट्रीय स्तर के ई-बुक एक्सेस करने की भी सुविधा होगी। तीन कॉन्फ्रेंस हाल के साथ कैफेटेरिया भी होगा। सिविल सर्विसेज के साथ मेडिकल, इंजीनियरिंग, क्लैट की तैयारी के साथ मैथ्स ओलिंपियाड के लिए भी किताबें यहां होगी। करियर गाइडेंस सेमिनार का आयोजन होगा। 100 से अधिक कंप्यूटर के साथ इंटरनेट के लिए वाईफाई की सुविधा भी छात्रों को यहां मिलेगी। 5 वीं के बाद बच्चों को नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए तैयारी हेतु एक किड्स स्टडी जोन भी अलग से तैयार होगा। जहां उनके सिलेबस के अनुसार किताबें और स्टडी मटेरियल उपलब्ध रहेगा।

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